बिना पानी होली इस बरस
इस बरस मोहे ना रंग लगाओ सजना
पानी को थोड़ा बचाव बलमा
कोई दो बूंद पी जायेगा
ऐसा ही ये सुखा कट जायेगा
इस बरस मोहे ना........................
दलील ना करो मेरे संग
सोचो जरा क्या होता होगा उनके संग
जब देखेंगे उड़ते हुये रंग
व्यर्थ जाता पानी क्या बोलेगा उनका मन
इस बरस मोहे ना........................
इस तरह यूँ ही रंग उड़ाके
पानी की पिचकारी पिचका के क्या मिलेगा
छोटा तिलक ही काफी है माथे पर
थोड़ा रंग बस इन दो गालों पर
इस बरस मोहे ना........................
वो सुखा हरा हो जायेगा
ये साल यूँ ही चला जायेगा
लेकर उनके आश्रू अपने संग
क्यों छेड़े उनके आश्रू पानी के संग
इस बरस मोहे ना........................
इस बरस मोहे ना रंग लगाओ सजना
पानी को थोड़ा बचाव बलमा
कोई दो बूंद पी जायेगा
ऐसा ही ये सुखा कट जायेगा
इस बरस मोहे ना........................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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