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बस और कुछ नही



बस और कुछ नही

बस और कुछ नही
खादी ने खादी को फाड़ा है
संसद बस एक अखाड़ा............

ना कोई अपना यंहा
ना कोई यंहा पराया है
संसद बस एक अखाड़ा...............

सत्यता की इकाई में
इन सबका दिल हारा है
संसद बस एक अखाड़ा...............

मसले बस इनके ही हैं
देश तो अब दूर का किनार है
संसद बस एक अखाड़ा...............

बिलकुल इकलौती फसल है ये
अमिश्रित हुआ इनसे ये घाटा है
संसद बस एक अखाड़ा...............

अपूर्व अर्थ है इस उपसर्ग का
आम पृथक खड़ा बेचार है
संसद बस एक अखाड़ा...............

इकहरा एकांगी है मेरा नेता
दोष तो सब हमारा है
संसद बस एक अखाड़ा...............

बस और कुछ नही
खादी ने खादी को फाड़ा है
संसद बस एक अखाड़ा............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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