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रै गैई





रै गैई

रै गैई
सदनी कू यो ऊमाल
उभै आंखीयु मा
जिकोड़ी का थग्ल्युओं मा
रै गैई
सदनी कू यो ऊमाल

भीर भीर कैकी ऐई
गीर गीर कै चुल गैई
लगी रै कै शोर कै डोर
अबै तक ब्थ्याण णी ऐई

रै गैई
सदनी कू यो ऊमाल
उभै आंखीयु मा
जिकोड़ी का थग्ल्युओं मा
रै गैई
सदनी कू यो उमाळ

हेरदा फेरदा रैई
उठदा बैठादा रैई
कख क्ख्क णी खोजी
बल मन का भीतरी ही रैई

रै गैई
सदनी कू यो ऊमाल
उभै आंखीयु मा
जिकोड़ी का थग्ल्युओं मा
रै गैई
सदनी कू यो ऊमाल

सारी कू साफा
गुलूबंद कू यू घेरा
कै का बाना ली बाना
मील ऊमाली कू सात फेरा

रै गैई
सदनी कू यो ऊमाल
उभै आंखीयु मा
जिकोड़ी का थग्ल्युओं मा
रै गैई
सदनी कू यो ऊमाल

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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