रातभर इंतजार रहा
रातभर इंतजार रहा
वो कहते हैं की प्यार रहा
दिल मे कभी
कभी आँखों के पार रहा
रातभर इंतजार रहा .........
मचलती रही हवा
झोंकों के साथ साथ रहा
किवाड़ पर नजर टिकी कभी
कभी खिडकीयों के पार रहा
रातभर इंतजार रहा .........
उस मोड़ से मोड़ती सडक पर
उस पथ पर रोकी उस नजर पर
सिर्फ मेरा ही अधिकार रहा
उस तन्हाई से बतियाता साथ रहा
रातभर इंतजार रहा .........
अंधेर से उजाले तक साथ रहा
परछाई से भी वो छुट प्यार रहा
उजाले के महक के साथ साथ
आँखों से ओझल होती वो रात गयी
रातभर इंतजार रहा .............
रातभर इंतजार रहा
वो कहते हैं की प्यार रहा
दिल मे कभी
कभी आँखों के पार रहा
रातभर इंतजार रहा .........
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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