ADD

मै बस मै



मै बस मै

गुमसुम खड़ा है वो
लगता है सबसे जुदा वो
मै बस मै

अजूबा है या हकीकत
इंसानियत है या आदमी है
मै बस मै

विचार बढ़ा लग रहा है आज
फैसला अब आप पर है
मै बस मै

पड़ा वो कंही सडकों पर
सोया वो ऊँचें महलों पर
मै बस मै

कंही भूख का ना नमोनिशान
कंही भूख ही है पहचान
मै बस मै

अजीब तेरा संग अजीब वो रंग
पल पल बदले वो तो हरपल
मै बस मै

आदमी है मुसाफिरखाना
एक को आना,एक को जाना
मै बस मै

फितरत छुपी आज कंही
इंसानियत दबी आज वंही...३

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ