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लाटू रैगयुं


लाटू रैगयुं

सीधु सादू रैगयुं
जिकोड़ी दगडी अल्ज्युं रैगयुं ..२
मी लाटू ,लाटू का लाटू रैगयुं

अपरुं-परायुं बाण ही सोची
माया लगे सबै से कैल मेरी माया णी समझी
हाक दे मी ऐ लाटू ऐ लाटू

सीधु सादू रैगयुं
जिकोड़ी दगडी अल्ज्युं रैगयुं ..२
मी लाटू ,लाटू का लाटू रैगयुं

लाटू लाटू कैकी यकुलू कैगै
अजाँण प्रीत मेरु अजाँण ऐ बाटो रेगे
रिंगा लगणी ऐ अजाँण डोर णी समझै

सीधु सादू रैगयुं
जिकोड़ी दगडी अल्ज्युं रैगयुं ..२
मी लाटू ,लाटू का लाटू रैगयुं

मिसै णी पाई कै दगड़ा
ढुंगा गारा सा पडयूँ रैगयुं
सबै उठै चूल्हे मी थै यख वख

सीधु सादू रैगयुं
जिकोड़ी दगडी अल्ज्युं रैगयुं ..२
मी लाटू ,लाटू का लाटू रैगयुं

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित बालकृष्ण डी ध्यानी
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