कुछ ज्यादा कुछ कम
कुछ ज्यादा कुछ यंहा कम
सुख दुःख का होता है जब मिलन
बहते हैं बस ये एक दिल और दो नयन
सुख दुःख ज्यादा हो या कम
निर्मल रहेगा जब ये मन भीतर
तब ही निर्मल बनेगा ये तन बाहर
जल की तरंह जीवन बह जायेगा
कल कल सुख दुःख मुस्कुराएगा
ज्यादा और कम से क्या फर्क पड़ेगा
भगवा रंग का चोला जब राम नाम जपेगा
सब तब तू भीतर ही उसे पायेगा
ना ही व्यर्थ ही तू बाहर फिर देखा जायेगा
शांती है मन की तन शांत ना कर
प्रभु के नाम पर ही जीवन तू अब बसर कर
उसके साथ ही अंत में मिल जान है
मिट्टी में ही रह मिट्टी से ही प्यार कर
कुछ ज्यादा कुछ यंहा कम
सुख दुःख का होता है जब मिलन
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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