एक दर्द
अहसास
एक दर्द का
साथ साथ चला
उस कर्ज का
एक के बाद
एक आया वो
आखों ने
नीर बहाया वो
पल पल
बदलता रहा
वो अपना
पग चलता रहा
ठीक ठाक
साथ रहा वो
बस जगाता और
सोता रहा वो
अहसास
एक दर्द का
साथ साथ चला
उस कर्ज का
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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