मुर्खता दिवस
बेवकूफ तो मै था
और दिख नही रहा यंहा कोई और था
मुर्ख बनाने के दिवस में
मुझसे बड़ा मुर्ख ना कोई और यंहा था
बेवकूफ तो मै था ......
मुर्खता दिवस की बात करते हो तुम
३६५ दिनों से ये खिताब मेरे ही पास था
१ अप्रैल २०१३ ये तमगा पाने को मै बेकरार
मेरे खुशी और आनंद का ना कोई छोर था
बेवकूफ तो मै था ......
अपने आप पर हँसना है मुर्खता है,तो मै हूँ मुर्ख
अपने दुःख भूलकर वो मुझ पर हंस दे,तो मै हूँ मुर्ख
ऐसा ही ताज मै चाहों,काँटों का वो हार मै चाहों
दो पल गम के बिसरा कर अपनी ओर मै करना चाहों
बेवकूफ तो मै था ......
इस दुनिया को देखा जब मैंने अपने हिसाब से
मुर्ख तो मुझे सबके सब लगे अपने अपने हिसाब से
सब अपने से इतरते हुये ओर यूँ बेवजह इठलाते हुये
रोजमरा के जीवन में खुद को लोगों को मुर्ख बनते हुये
बेवकूफ तो मै था ......
बेवकूफ तो मै था
और दिख नही रहा यंहा कोई और था
मुर्ख बनाने के दिवस में
मुझसे बड़ा मुर्ख ना कोई और यंहा था
बेवकूफ तो मै था ......
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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