बस देखा था
बस देखा था
कुछ होता हुआ
अपना दिल ओर
अपनों को रोता हुआ
बस देखा था ....................
आंखें ही बही थी
मोमबत्तीयां जली थी
उखड़ा था मन
बस दो पल चला था
बस देखा था ....................
चुप था वो
क्या सुन रहा था
बैचैन सा मंजर
बस कह रहा था
बस देखा था ....................
बस देखा था
कुछ होता हुआ
अपना दिल ओर
अपनों को रोता हुआ
बस देखा था ....................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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