ADD

फिर बाटा बिरडीगे तू



फिर बाटा बिरडीगे तू

हे मेरी माया कू थैलू
भोर भोरिक निस्डू रै तू
बाँझ जीकोड़ी कू रै गेल्या
टाक्कों दगडी अल्जी गै तू

गढ़ हरलू छोड़ीकी हे जीयु
नोटों हरलू मा हर्ची गै तू
बोल्या मेरा गढ़देश कू
फिर बाटा बिरडीगे तू

दिन सरेना रात गैन
तेरा गैना अबी भी णी गढ़ेण
सुप्नीयु का वहैगैणी तेरा छेलू
भूलीगै तू अब अपरा पितरू

कंण दिशा भुला व्हगै तेरु
कंडा ये देशा का खुठी घुसैनी
देबता भी अब रूठी णी तै कू
फिर बाटा बिरडीगे तू

हे मेरी माया कू थैलू
भोर भोरिक निस्डू रै तू
बाँझ जीकोड़ी कू रै गेल्या
टाक्कों दगडी अल्जी गै तू

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ