मी उत्तराखंड
ऊबड़ खाबड़ धरा मेरु
उन्दरू उकालू सखा मेरु
ढुंगा गारा सारु मेरु
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
हिमालू मेरु बाबा देखा
गंगा मेरी बोई बगणी
डंड कंडा वो घाटू मेरु
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
किन्गोड़ा का सुखा मेवा
अखरोट नासपती वो डाला
काफल गोड़ी बोली मेरु
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
बुरंसा प्योंली फुला खिला
च्कुली घुघूती आकास भ्रयाँ
सिधु साधू जीयु मेरु
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
अल छला पल छला
मथा भुन्यां पाटा पिस्याँ
ओखली मा धान कोटयाँ
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
हरी कु द्वार हरिद्वार
केद्ररखंड बाब केदारनाथ
बद्रीनाथ धाम मेरु बद्री विशाल
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
ऐ जांदू जो एक बार यख
खुल जंद वैका भागा कु द्वार
देवभूमी मेरी मेरु खंड संतो को घार
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
जाँत पांत ना रैगे बात
मुक्त बथा अब मी लेंदु स्वास
उज्वळ छा अप्डी भूमी मिलगे तुम थै रैबार
उत्तराखंडी मी उत्तराखंडी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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