पहड़ों पे
धीमी सी है जिंदगी..२
पहड़ों पे थमी सी है जिंदगी
विनम्र सादगी भरी है जिंदगी..२
पहड़ों से बंधी है ये बंदगी
ढीला-ढली से है जिंदगी ..२
पहड़ों पर रुक रुक चली है ये खुशी
मृदु कोमल पावक सी है जिंदगी ..२
पहड़ों पे बहती ये पवन यंह हर घड़ी
बस मुझे मेर पहाड़ों से प्यार है ...२
इसके लिये ही ये दिल हरदम बेकरार है
रोएंदार है ये जिंदगी ..२
पहड़ों के काँटों खिली वो हर घड़ी
ग्रहणशील योग्य है जिंदगी ..२
पहाड़ों में ना खलेगी इसकी कंही कमी
गंगा की तरहा बही ये जिंदगी ..२
पहाड़ों की है ये पावन नगरी
पत्थरों की है ये जिंदगी..२
पहाड़ों पर बसी ये देवों की है नगरी
धीमी सी है जिंदगी..२
पहड़ों पे थमी सी है जिंदगी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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