अप्डी अप्डी मा
खैरी मा लगी रूं
मनखी से अटकी रूं
पाड़ा पीड़ा नी जानी मिल
पाड़ा विपदा नी जानी मिल
अप्डी अप्डी मा लगी रूं
खैरी मा लगी रूं.....................
बोई बाबा कू डेरू मेरु
सोंज्डया खूंटी बंदी गेडू मेरु
दोई भुम्याल बच्चा म्यारा
लगी रूं बस ई दुनिया मेरी
खैरी मा लगी रूं.....................
ना ज्मै एक डल्ली मिल
ना मांगे दमड़ी मिल कैम
प्रगती का दौड़ से भटकी रूं
भागा खटुली से चिपकी रूं
खैरी मा लगी रूं.....................
ना देखी मिल भैर
ना की मिल सीखैसैर
बंद किवाड़ बंद उंका दर
ये च मेरु कथा कूटोम्दरी
खैरी मा लगी रूं.....................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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