नोनु घार नी ऐई
भैर जैकी हर्ची ग्याई
माया मा हमरी माया भूली गैई
क्दगा बरस बीत गैनी
नोनु घार नी ऐई
गै छे सुप्निया जगै
लगै वो आगी आस की बले
तबरी भ्तेक मुख नी देखैई
भैर जैकी हर्ची ग्याई
हेर का आजार देके गैई
रडदा जिकोड़ी कबै सुध नी लेई
अयं पत्री दोई वैका दार भी अबै बंद व्हाई
नोनु घार नी ऐई
एक एक घार कू ऐ पीड़ा छ
गढ़ देशा की एक ओर नैय विपदा छ
पलायन रोग की कख सीमा छ
भैर जैकी हर्ची ग्याई
दाना दानी की आंखी कैनी
हेरदी जिकोड़ी कहाणी बोलणी
पाड़ा की बर्बाद ज्वाणी जाणी
नोनु घार नी ऐई
भैर जैकी हर्ची ग्याई
माया मा हमरी माया भूली गैई
क्दगा बरस बीत गैनी
नोनु घार नी ऐई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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