ADD

दूर ही रहा


दूर ही रहा

जीवन में था
पर जीवन से दूर ही रहा

अलग बनने की सनक
अपनों से दूर ही रहा

पाने की लालसा ,सब खो दिया
सपनों से दूर ही रहा

कर ना था कुछ जीत के लिये
पर हार से दूर ही रहा

देखता रहा मै सब कुछ
पर मै बोलने से दूर ही रहा

पत्थर की तरहं पड़ा रहा
पुजने से दूर ही रहा

जीवन में था
पर जीवन से दूर ही रहा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ