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गढ़ सिपै सैलार


गढ़ सिपै सैलार

वो क्ख्क लुकी ग्याई
वो क्ख्क बिरडी ग्याई
डंडी घांटी मा ढूंढे मिल
कंठी कंठी मा ढुंड़
मी थै वो क्ख्क भी नजरी णी ऐई
ईंन विपदा मा हमथै छुडीकी
मेरु पाड़े का सिपै सैलार क्ख्क छुपी गैई

क्ख्क बादल फटायां
क्ख्क कुड़ो बौगी ग्याई
क्ख्क सड़ाकी रौडी गैई
क्ख्क गदेरू हौल म्चेई
मीथे तू वख भी नजरी णी ऐई
ईंन विपदा मा हमथै छुडीकी
मेरु पाड़े का सिपै सैलार क्ख्क छुपी गैई

क्दगा मोरी क्दगा घ्याल
क्दगा हरची ऐ बस्ग्याल
छे चैई तैथै पत्ता विपदा कू
तिल ऊपैई कीलै णी काई
सरुक तू क्ख्क रौडी ग्याई
ईंन विपदा मा हमथै छुडीकी
मेरु पाड़े का सिपै सैलार क्ख्क छुपी गैई

तत्र स्त्र सर्वत्र हाहाकार मची जबै
तेरु दोई दिना बाद दिल्ली खबर ऐई
ईच त बस देवी विपदा च
हुमुल तुमुल क्या कैर पाई
बस हमुल दोई आंसूं ढोल दयाई
ईंन विपदा मा हमथै छुडीकी
मेरु पाड़े का सिपै सैलार क्ख्क छुपी गैई

वो क्ख्क लुकी ग्याई
वो क्ख्क बिरडी ग्याई
डंडी घांटी मा ढूंढे मिल
कंठी कंठी मा ढुंड़
मी थै वो क्ख्क भी नजरी णी ऐई
ईंन विपदा मा हमथै छुडीकी
मेरु पाड़े का सिपै सैलार क्ख्क छुपी गैई

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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