बस रुणु रहाई
सरगा दीदा किले रुश गैई
धाम कू देबता तुम किले बिरडी ग्याई
कंन काला काला बादल छा घिरयाँ
कै काल कू ई बरखा बरसाई
कया कै हमूण कया बिगैड तेरु
मी ये गणीत सोचुदु रैगैयाई
ये पापी जीयु थै समझणी ऐई
गंगा बोई मेरु थान तिल किलै बौगीग्याई
केदार बाबा किलै रूद्र रूप धारी
बद्री विशाल वासुकी ताल कख ग्याई
जख तख वख चाखल पाखल
क्दग ल्पता क्दग मोरयां क्दग घ्याल
ऐ पीड़ा ऐ खैरी मेरा भाग मा किलै ऐई
मेरु उत्तरखंड बस रुणु रहाई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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