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वों सै मील


वों सै मील

वों सै मील बोली थी
वों सै मील बोली थी
ना जावा छोड़ी की ..२
ये गौं घार अपरू मुल्की से
इनी मुख मौडीकी
वों सै मील बोली थी …….

अड़ बाटा मा अड़े मिल
अदा अदा छुंई तुम दगडी लगे मिल
कया कया नी जतन कै मिल
चलगे तुम इन बाटों इन छुई छोड़ी की
वों सै मील बोली थी …….

खुद अब आणी वहाली
खुदेड घुघूती जिकोड़ी घुरान व्हली
छुई मेरी रोलाण व्हाली
अब कया फैदा आँखों कू पाणी बोगी की
वों सै मील बोली थी …….


वों सै मील बोली थी
वों सै मील बोली थी
ना जावा छोड़ी की ..२
ये गौं घार अपरू मुल्की से
इनी मुख मौडीकी
वों सै मील बोली

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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