जबर लगी प्रीत
म्यारी सांकी मा
माया तेरी …. बसेगी .
जिकोडी की गौल लगी गै ..२
मुखड़ी यूँ रोंसा तेरी
म्यारी सांकी मा
माया तेरी……२
कैल भी णी पूछी मिल
मिल कै थै णी बतैई ..इ
तेरी प्रीत ये गेल्या मिल ..2
तै दगडी भी छुपैई ..इ इ इ
म्यारी सांकी मा
माया तेरी……२
फिरदा रायों मी ईन…बाटों मा
छुई लगॆ ना मिल इ
प्योंली बुरांस का डालियों मा …२
घुघूती थै भी णी बतैई ..इ
म्यारी सांकी मा
माया तेरी……२
तिस लगे की गै कै छोर
चिठ्ठी ना पत्री ना गौं को ठोरा
कै दिसा को जाण कै धैय लगाण ..2
नौअ कया च वीं को ,मिल ये भी छुपाण बल
म्यारी सांकी मा
माया तेरी……२
निंदी भी हर्चे
फूलों दगड मील इनी रुपया खर्चे
तै दैना को हिक्मत ना वहाई ..इ ..2
ना कै दिल तू ये जिकोड़ी तैर कया वहाई
म्यारी सांकी मा
माया तेरी……2
म्यारी सांकी मा
माया तेरी …. बसेगी .गी
जिकोडी की गौल लगी गै ..२
मुखड़ी यूँ रोंसा तेरी
म्यारी सांकी मा
माया तेरी……२
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ