भूली गीयूं मी
ओंकी हैंसी देखी की
भूली गीयूं मी ..२ भुली
खैरी अप्डी पीड़ा अप्डी
भगवती इन दैणी रै सदा
अपरा परायुं पर कैर दे किरपा
तेरु ये रूप देखी की
अपरों पर अंग्वाल लेखी की
भूली गीयूं मी ..२ भुली
खैरी अप्डी पीड़ा अप्डी
देख वा कंन हंस्द
गीच मा दंतुली किद द
वीं हैंसी दगडी दगड ऐरै दगडाया
पाड़ भी हैंसद देखी की मेरु पाडे दा भी हैंसीद
भूली गीयूं मी ..२ भुली
खैरी अप्डी पीड़ा अप्डी
इनी णी खिद खिदा रंया
पाडे का बुरंश प्योंली लंया
घुघती घुर हिलांसा उडी भूर
ईं हैंसी ना जा मेरा पाडे से दूर ,तेर हैंसी मा मी हैंसी की
भूली गीयूं मी ..२ भुली
खैरी अप्डी पीड़ा अप्डी
ओंकी हैंसी देखी की
भूली गीयूं मी ..२ भुली
खैरी अप्डी पीड़ा अप्डी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ