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जब मे पर बीती तब समझी


जब मे पर बीती तब समझी

अपरा पा ऐई तब जाणी मील
कया हुन्दी पीड़ा
कया हुन्दी खैरी

देखी मील जब ईन अन्ख्युं …२
ईन विनाश लीला जिकोड़ी मा दडी ग्याई
अपरा पा ऐई तब जाणी मील
कया हुन्दी पीड़ा
कया हुन्दी खैरी

डरी डरी की मी भागी यख वख मी …२
कंन कै मील अपरू जीयु बचै
अपरा पा ऐई तब जाणी मील
कया हुन्दी पीड़ा
कया हुन्दी खैरी

आंसूं का गेडा मा मील बंधी छा …२
हाथों का रेखा मा कया तिल लिखी छा
अपरा पा ऐई तब जाणी मील
कया हुन्दी पीड़ा
कया हुन्दी खैरी

जब बचगयुं मी तब बैठी की सुची समझी मील ..२
जो वख बस्याँ वोंकी पीड़ा खैरी
अपरा पा ऐई तब जाणी मील
कया हुन्दी पीड़ा
कया हुन्दी खैरी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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