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क्ख्क जांण


क्ख्क जांण

फिरदा रयों
मी हिटदा रयों
मनखी दगड ...२
मी...... रिटदा रयों
फिरदा रयों
मी हिटदा रयों

जांण ......क्ख्क जांण
छोडी... कि मील तै क्ख्क जांण
आंण फिर आंण
परती की मील यखी आंण
फिरदा रयों
मी हिटदा रयों
मनखी दगड
मी...... रिटदा रयों...........

बस वख सरेल च मेरु
तै भीतर बस्यु मेरु प्राण
तै माया थै मील कंण कै भुलाण
जींदु रैंलू मौरी जोंलों
आंण फिर आंण
परती की मील यखी आंण
फिरदा रयों
मी हिटदा रयों

फिरदा रयों
मी हिटदा रयों ....३

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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