ADD

जीयू मेरु


जीयू मेरु

बथों दगडी मेर छुंई
आज कू ल्गाळ बळ
कोयेड़ी छे दूर पार डंडीयों मा
वीं जणी कू गीत गाळ बळ
बथों दगडी मेर छुंई
आज कू ल्गाळ बळ ...............

जीयू मेरु
आज उड़णा कू उताळ च
चकूली जणी मी कू उड़ाल बळ
दगड़ा दगड़ी ये रे गेल्या
मी सारु गढ़ कू घुमाल बळ
बथों दगडी मेर छुंई
आज कू ल्गाळ बळ............

थन्दु मीठू
छुंयों पाणी जणी
लेकी मेरे तीस कू बुझाल बळ
हरी भरी डंडी मा ऐ बोई मेरी
घास काटी कि आज कू लाळ बळ
बथों दगडी मेर छुंई
आज कू ल्गाळ बळ............

बुरंस प्योंली
जणी मीथै माय कू ल्गाळ बळ
डाली टूटेली कंडा चुबला
रीक बाग गौरअ डंक से
यख मी आज कू बचाल
बथों दगडी मेर छुंई
आज कू ल्गाळ बळ............

जीयू मेरु
बस यख वो मै दगडी बचाण बळ
माया मेर में मा
यख समै जांण बळ
छे मेरु गढ़ मेरु भाग बळ
बथों दगडी मेर छुंई
आज कू ल्गाळ बळ............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ