बस म्न्ख्यों की
भुला
मनखी की दौड़
बस म्न्ख्यों तक
बल कया हुन्दो और्री अग्ने
बस म्न्ख्यों तक
हरी हरी बुला
बस म्न्ख्यों तक
टक्का मा हरी खोजा
बस म्न्ख्यों तक
देब्तों कू यख धाम
बस म्न्ख्यों तक
यख मेरु कया काम
बस म्न्ख्यों तक
छे चं गढ़देश मेरु
बस म्न्ख्यों तक
भैर देश बैठयूँ
बस म्न्ख्यों तक
कैलणी जाणी मनखी ते
बस म्न्ख्यों तक
जिकोड़ी तिल भी णी माणी
बस म्न्ख्यों की...............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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