ADD

पत्तों को हिलना था


पत्तों को हिलना था

पत्तों को हिलना था
हिलकर उन्हें गिरना था
पत्तों को हिलना था ...................

किस्मत की रेखा दबी
मिलकर ,बिछड़ना था
पत्तों को हिलना था ...................

तन्हा सफर तन्हा मंजील
अगंतुक, चलते चलना था
पत्तों को हिलना था ...................

निशान छूटे कंही पहचान छूटी
तकदीर, कदम कदम पर टूटी-फूटी
पत्तों को हिलना था ...................

रूठी रही वो उड़ते रहे
रूखे सूखे पत्ते उन्हें उड़ना था
पत्तों को हिलना था ...................

पत्तों को हिलना था
हिलकर उन्हें गिरना था
पत्तों को हिलना था ...................

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ