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देख लो


देख लो

देख लो यंहा एक बार
मुझ में भी जगी है प्यास .... देख लो
छा रही है बहार
ऋतू जागी है गा रही है मलहर .... देख लो
देख लो यंहा एक बार

इक तो सावन महेरबान
छा रहे देखो बादलों के थान
लट खोल मौर करे मुस्कान
प्रेम के अब गिरेगी बरसात.... देख लो
देख लो यंहा एक बार

अंगडाई ले जा रही है शाम
बलखा कर आ रही है ये रात
फेरो ना इस तरह नयन वो सजन
मारो ना आँखों के बाण.... देख लो
देख लो यंहा एक बार

देख लो यंहा एक बार
मुझ में भी जगी है प्यास .... देख लो
छा रही है बहार
ऋतू जागी है गा रही है मलहर .... देख लो
देख लो यंहा एक बार


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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