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बैठा हूँ उदास होकर मै


बैठा हूँ उदास होकर मै

बैठा हूँ उदास होकर मै
या बैठा हूँ दास बनकर मै
बैठा हूँ उदास होकर मै................

मायना प्रमाण करता है
या फिर मन निर्वाह करता है
बैठा हूँ उदास होकर मै................

कली खिली है वो दूर देखो
क्या वो कल फुल बनेगी
बैठा हूँ उदास होकर मै................

हरकत हुयी अनछुई सी
आँखों से झूली वो लडी सी है
बैठा हूँ उदास होकर मै................

बस उदास होना था हो गया
दास बनना था वो भी हो गया
बैठा हूँ उदास होकर मै................

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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