वो भक्ती मेरी
प्रकृष्ट है वो
जो सत्य है
जो उत्तम है
वो विचार सर्वत्र है
वो भक्ती मेरी............
सबसे अच्छा
वो जो तेरा मन है
सूक्ष्म ही सही
उसमे बैठा भगवन है
वो भक्ती मेरी............
सर्वश्रेष्ठ तू
कर्मों से तब जाना जायेगा
सर्वोत्तम तू जब
कुंदन सा तप जायेगा
वो भक्ती मेरी............
बहुत है बस वो
प्रभु की भक्ती मेरे लिये
उपयुक्त सा जीवन मेरा
इससे संवर जायेगा
वो भक्ती मेरी…………
निष्कलंक रहे
बस ये यौनी मेरी
कांतिमान सा मेरा
मुख तेज हो जायेगा
वो भक्ती मेरी............
संपन्न और धनी मै
तब हो जाऊँगा जब
अत्युत्तम, दक्षता-पूर्ण
अद्वितीय सार्वभौम जाऊँगा
वो भक्ती मेरी............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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