अब त हरी हरी बोलले..
सदणी णी रैंदा
गै..ल्याणी ..सुख दुःख
ये सुख दुःख
आंदा जांदा
कै कू णी रुक्दा
कै कू णी थ्म्दा
गै..ल्याणी ..सुख दुःख
ये सुख दुःख
आंदा जांदा
पीड़ा की खैणी
पीड़ा लेई जाणी
पीड़ा का दार ...गै..ल्याणी
सदणी... णी बंद रैंदा
गै..ल्याणी ..सुख दुःख
ये सुख दुःख
आंदा जांदा
भग्या का लेखी
भाग ही जाणी
कर्म बिधातन..... णा
मनसा तेंण बांटी
अपरा कर्म से मुक्ती .. गै..ल्याणी
तू कख क्ख्क छे भटाणी
गै..ल्याणी ..सुख दुःख
ये सुख दुःख
आंदा जांदा
जिकोड़ी मा देखले
जिकोड़ी थे अपरा भेंटी ले
रैंदा सुख दुख हारी वख
तू वों पर सब छोडी ले
अब त हरी हरी बोलले....गै..ल्याणी
भव समुद्र गौता मारी ले
गै..ल्याणी ..सुख दुःख
ये सुख दुःख
आंदा जांदा
सदणी णी रैंदा
गै..ल्याणी ..सुख दुःख
ये सुख दुःख
आंदा जांदा
कै कू णी रुक्दा
कै कू णी थ्म्दा
गै..ल्याणी ..सुख दुःख
ये सुख दुःख
आंदा जांदा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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