उमस भरा मीत
चल आज
उमस पर कुछ लिखूं
तपती धुप पर
मै कुछ थोड़ा जलों
वो उमस भरा मीत .............
जंगम है वो
अब चलायमान
गतिशील है वो
हर वक्त चलता-फिरता
वो उमस भरा मीत .............
गरीबी वो पेट की
अब थोड़े दिन मै भी भूख रहूँ
चलनक्षम बन बकरा
वस्तुएँ सा हलाल हुओं
वो उमस भरा मीत .............
अनियमितता हर दिन की
अस्थिरता बस उस तन की
अनित्य पर चल बनकर
बदलने का प्रयास करों
वो उमस भरा मीत .............
योग्यता है या अयोग्यता
गतिशील इस धरा पर
तिरती पर एक गीत लिखों
फिरता उसे बस मीत लिखों
वो उमस भरा मीत .............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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