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कैसी देश सेवा


कैसी देश सेवा

भीम सिहं ने खोली जुबान
बह गयी सब नेता की आन
शहादत का पेंच फंसा
अब कुर्सी की भी गयी शान

मेरा नेता इतना महान
ना दे बलिदानों को सन्मान
कैसी तेरी सोच विचार
क्या तू है इस देश की औलाद

नेता नेता बस तू लेता
लेते लेते बस तू लेटा
हिन्द के इस परचम में
कैसी खेती को है सींचा

खेद तो बहुत है खेद है हमे
तुझको को क्या खेद होगा
दो अक्षर घूम फिराकर
फिर शुरू तेरा खेल होगा......३

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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