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ये आसमां तुम्ही में है


ये आसमां तुम्ही में है

दीवानगी मेरी आशिकी तुम्ही से
दो दानो का ये आसमां तुम्ही में है

गीतों का मौसम फिर छाया है
पतझड़ ने बसंत का गीत गाया है

रुकी सांसें देख फिर चल पड़ी मेरी
रूठा दिलबर अब दर पे मेरे मिलने आया है

पटरी पर दौड़ती है गमनी अभी भी
पर आज उसे आँखों में दौड़ते पाया है

इश्क ही इश्क है चारों दिशाओं में
राधा श्याम को हर दिशाओं में पाया है

प्रेम टपकता है रूहानी चासनी का पानी
राम रहीम को मैंने आज उसमे डूबा पाया है

दीवारों में मजारों में अपने को सजा पाया है
हर उन आँखों में मैंने अपने को ज़िंदा पाया है

दीवानगी मेरी आशिकी तुम्ही से
दो दानो का ये आसमां तुम्ही में है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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