मेरा दर्द
कुछ तो ये मन कह रहा होगा
अपनों का दुःख तो सह रहा होगा
करुणा है उदासी है फ़ैली इन आँखों में
क्या कोई छुपी कहानी है इन सांसों में
अब दर्द है वो झलक ही जाता है
कब तक माँ के आँचल से बंधा रहता है
अपना पराया जीवन दहलीज पर
उभर उभर कर परेशान करता रहता है
कुछ तो ये मन कह रहा होगा
अपनों का दुःख तो सह रहा होगा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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