ADD

हर खबर


हर खबर

हर खबर में लगती अब
हर खबर अब तुम्हरी है
हर खबर में लगती अब......

मै तो अब कुछ ना रहा
सब कुछ तुम्हरा हो गया
हर खबर में लगती अब......

अकेला था अकेला ही हूँ
नजर ने तुम्हरी बस अब घेरा हूँ
हर खबर में लगती अब......

सुबह शाम कब थे मेरे
वो लगाते है बस अब तेरे घर के फेरे
हर खबर में लगती अब......

चाँद को भी देखा हमने अब
छत पर तेरी टकटकी लगते हुये
हर खबर में लगती अब......

पुष्पों ने अब खिलना छोड़ दिया
भौरों ने जब तुम्हे चूम लिया
हर खबर में लगती अब......

डाली थी तुमने बस एक नजर
हमने तब से जीना सीख लिया
हर खबर में लगती अब......

हर खबर में लगती अब
हर खबर अब तुम्हरी है
हर खबर में लगती अब......

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ