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मेरी हिंदी


मेरी हिंदी


हिंदी मेरी हिंदी है
तू है सबकी हिंदी है

गर्व मुझको तुझ पर
मैने तुझको पाया है

संचित कर अपने ज्ञान को
वट वृक्ष मुझे बनया है

आज के परिवेश में
अकेला तुझको पता हूँ

हाल देख तेरी धरा पर तेरा
विहिल मन सा हो जाता है

इसलिये पाया मैंने तुझको
दुर्दशा देख दुखित हो जाता हूँ

अब प्रण लेना है हमको
तुझको फिर से संवारना है

अपने हर कार्यों में
उपयोग बस तेरा ही लाना है

हिंदी है हिन्द है
बस आज अपना देश बचाना है

हिंदी मेरी हिंदी है
तू है सबकी हिंदी है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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