कया हुनू च
कया हुनू च
म्यार गढ़ देश मा
बाबा कू केदारखंड मा
कया हुनू च
ना लूकि च
ना लूके जाली
आच ना भोळ
वा देखे हि जाळी
कया दबानू छे
कया दबे राली
फुक दे हाथ मा तेरु
तेर सत्ता बी फुके जाली
देख सीदा छन दीदा हम
हमरु ना फैदा उठा
आंखी क़ू टिप टिप दगडी
मेरु गढ़ देश थे ना रुला
अब बी बगत च
अब बी सोच ले जी
देवों की भूमी छे अप्ड़ी
देवों थे ना यख रूसा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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