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चखुली सी जीयु मेरु


चखुली सी जीयु मेरु

चखुली बनी उड़ी जोलों त्यूं पहाड़ मा
गीत ऌगलू व्ख भैतिकी बैठिकी डाळ मा

सास ब्वारी की य्ख लगी टंटा च भारी
दोई या दोई मा लगी चा छुंईयों की झाड़ी

डाळी ताळ खुदेड़ा गीत कू लगाणू व्हालो
बांसुरी की सुरेला तान थे कु ब्जानू व्हालो

सरास मा बेटी थे बोई खुद आण वहाली
भै भैनु स्वामी की खुद वीं थे रुलाण वहाली

हरी भरी डंडियों मा व्ख घस्यरियों की टोली
तेडा मेडा सड़की वा बांद क्ख्क जाण वहाली

बंजा पुंगडीयों मा हौल कु चलाणू व्हालो
ल्ल्या कल्या बल्दों थे हाक कू ल्गाणु व्हालो

तिबारी मा बैठ की बाबाजी तम्बाकू खाँण व्हाला
तम्बाकू का धुन्यैड़ मा बोई का माथा भिभ्रराणू व्हालो

रसोई मा थिन्च्या मुला कू साग की वो सूंघ
कौद कू रुटलू मा किन्क्रालू घियु टपराणू व्हालो

जीयु मेरु दिखी की ललचाणु वहालू
एक एकी मयारू सुपिनिया टूटी जाणू व्हालो

चखुली बनी उड़ी जोलों त्यूं पहाड़ मा
गीत ऌगलू व्ख भैतिकी बैठिकी डाळ मा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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