दूर तुत्यो
दूर तुत्यो तारा आकाशा मा
सरगा मा रेघ पौड़ी गे
तुत्यो जिकोड़ी माया मा
आंखी मा पाणि चौलिगे
दूर तुत्यो तारा आकाशा मा
सरगा मा रेघ पौड़ी गे …………
भैर भि णि रायुं मि
णि रयुं भितर भि मि
कै कि मि छौल पौड़ी गे
य्खुलि कै मि रौड़ी गे
दूर तुत्यो तारा आकाशा मा
सरगा मा रेघ पौड़ी गे …………
जीयु मेरु जीयु आच भारि
कैल दि मि ये बिमारि
अजार यूं छु यूँ ल्ग्यू पूराणू
कैल णि समझ मेरु रुवाणू
दूर तुत्यो तारा आकाशा मा
सरगा मा रेघ पौड़ी गे …………
णि कै थे शोर सुणाई
णि ऐल कै थे बोल्याई
य्क्ली य्क्ली बौल्या बणी
ऐल जोगी रूप धैर्याली
दूर तुत्यो तारा आकाशा मा
सरगा मा रेघ पौड़ी गे …………
दूर तुत्यो तारा आकाशा मा
सरगा मा रेघ पौड़ी गे
तुत्यो जिकोड़ी माया मा
आंखी मा पाणि चौलिगे
दूर तुत्यो तारा आकाशा मा
सरगा मा रेघ पौड़ी गे …………
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ