आसार महीने मा
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे
भिगो रे मेरु मन
य्कालो हि तू रैगे यख
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे...........
क्दागा बरस ये
बरखा तू ये डंडीयों मा
बिछोह ये हिरदेय मा
तरसालू बादल.....भोरिगे
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे...........
मने ने ते थै कया हुलु वो बोली ये
दूर वख…अ प्योंली फूली होली
देली मा बैठी वो कया हुली सोचणी वा
अपरा मने थे वा मनोदि होली वा
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे...........
कबैर हैंसणू रै
कबैर ये रुणू रै
खुदी मा खुद दगडी झुरुणु रै
मना नी इथे समजे रा
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे...........
छम छम पौड़ीगे
ये मनख्यूं का रौला
टिप टिप वख वा
टिपणू छा गारा रे
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे...........
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे
भिगो रे मेरु मन
य्कालो हि तू रैगे यख
आसार महीने मा
बरखा पौड़ी गे...........
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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