तिल नि समझी मेरी माया
तिल नि समझी मेरी माया
मेरी माया मी दगड रेगे अपुरी
जै जै बाटों मा अट्गी छे तू....२
मी वै बाटूँ कु कंडू थे सराया
तिल नि समझी मेरी माया ….
कैल नी समझी यख सच्ची माया
सबुल सच्ची माया थे बिसराया
सबेरे भातिक ब्योखंन तक ...२
मील और्री मेरु जीयूं ने तेरु ही बाटू हेरा
तिल नि समझी मेरी माया ….
मन और्री मी अब तेथे ही अब देखन छों
तू कंन खुश राली दिन राती सोचण छों
तेरु बाटों मा क्वी पीड़ा ना ऐई...२
मी आपरू बाटों दूर भतिक मोड़ण छों
तिल नि समझी मेरी माया ….
तेरा आँखों मा आंसूं नि देख सकदु मी
तेरी बस मिल हसदी मुखडी दिखी छा
खुश छे तू वै घर छुचि माया मेरी तू ...२
मी थे ऐमा बी मिली ख़ुशी चा
तिल नि समझी मेरी माया ….
तिल नि समझी मेरी माया
मेरी माया मी दगड रेगे अपुरी
जै जै बाटों मा अट्गी छे तू....२
मी वै बाटूँ कु कंडू थे सराया
तिल नि समझी मेरी माया ….
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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