मील जणदू कन
मील जणदू कन
जब ऊ बोल्दी ना
भेद जिकोड़ी कू
जबै तकऊ खोल्दी ना
अबर दा त छुची बोल्दे
भेद ऊमाली कु खोल्दे
कया छुपाणी छा
कया लूकाणी छा
अपरी नजरी थे में से चुरेकी
भूंया किले ले जाणी चा
अबर दा त छुची बोल्दे
भेद ऊमाली कु खोल्दे
धिर तेरु माण
मिल तेरु सारु छे
ले धिर कू सारु
अप्रू मनखी कि गेड़ खोल्दे
अबर दा त छुची बोल्दे
भेद ऊमाली कु खोल्दे
कबैर तक चुप राली
कबैर तक नि बोलालि
चूप चूप रै रै की
किले व्हाली ऊ खचाणी
अबर दा त छुची बोल्दे
भेद ऊमाली कु खोल्दे
मील जणदू कन
जब ऊ बोल्दी ना
भेद जिकोड़ी कू
जबै तकऊ खोल्दी ना
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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