चुप चाप निभै रै
डंडा धारा गौं गोठ्यार
चीमोड़ जी कु जीयु उड्यार
ऊंदरू उकालो का ऊ बाटा
सँघुला ताला खोल दादा
अल ग्धनी पल ग्धनी छला
बिस्यां सारा पुंगड़यां गारा
कमरी टूटगी खोली पौडगी
बेटी ब्वारी यख यकुली व्हैगी
अल डंडा पल्या डंडा
घासों कु छयों यख मौल्यार
रीता व्हैगेनी जंगलात डाला
चोर खैगैनी हमरु बांटा
अल सारी पल सारी
बौड़ा बॉडी कि लागी पाली
जौन नौना ऊँ का निछा घार
परदेश बस्याँ ऊ परिवार
याकलू रैगे बिराणो व्हैगे
म्यारु गढ़ा उत्तराखंड आच
नि रैगे वैं का सिपे सैलर
घार मा ऊँ का टक्क़ों ब्यापार
कैल धै लगाण कु आलो
कैल अपरा मुड़मा जूता खालो
चुप चाप निभै रै मेर दीदा
जबै मेर गढ़ मेरु ना रालो
तब परती ऐकी तू कया पालू …३
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ