सार्थक भरद्वाज
हिंदुस्तान लिटिल चेफ
सार्थक
बस चला चल
मंजिल तेरी और कंही है
निशाना भेद दिया
सार्थक तूने
उसे साध दिया
मेरे खंड को
एक नया आयाम दिया
तेरी ख़ुशी में
मै झूमा ऐसे
बग्वाल ख़ुशी
मेरी हुयी दूनी जैसे
छूटे छूटे हाथों ने
क्या किया कमाल
स्वाद ताज पहने
पहुंचा दून का महाराज
मेरी ऐ कविता
श्याद ही तुझ तक पहुंचे
पर तूने मेरे
दिल पर अब राज किया
इस उम्र में ही तूने
गजब का नाम किया
सार्थक तुझे मेरा सलाम
मेरा सलाम
बालकृष्ण डी. ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
हिंदुस्तान लिटिल चेफ
सार्थक
बस चला चल
मंजिल तेरी और कंही है
निशाना भेद दिया
सार्थक तूने
उसे साध दिया
मेरे खंड को
एक नया आयाम दिया
तेरी ख़ुशी में
मै झूमा ऐसे
बग्वाल ख़ुशी
मेरी हुयी दूनी जैसे
छूटे छूटे हाथों ने
क्या किया कमाल
स्वाद ताज पहने
पहुंचा दून का महाराज
मेरी ऐ कविता
श्याद ही तुझ तक पहुंचे
पर तूने मेरे
दिल पर अब राज किया
इस उम्र में ही तूने
गजब का नाम किया
सार्थक तुझे मेरा सलाम
मेरा सलाम
बालकृष्ण डी. ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
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