ये मेरु पहाड़
ये नीलू सरग
ये हैर-भैर छाला
गाड़-गादिनियों
पसरया छैला-बैला
मेरु मुल्क
ये मेरु गैल्या
जिणु कु सिख दे जांदी
रित यख का अलबेला
देबतों को ठों
ऋषि मुनियों कू गौं
उकालों कू ऊ मेरु बाटा
जंगलात देक थाटा ये लाटा
बौल्या बणाण दि
दिल लूची ले जांदी
एक बारि जो बि यख
ये धरणि मा आ जांदी
सबु थै सम्भाली
अपरु थे इनी खैलकरि
म्यारा ये डंडा-कांडा
म्यारा मायलदु पहाड़
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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