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ऊँ अंखियों थे


ऊँ अंखियों थे

इनि अंखियों नि ऊँ आँखि थे देखि छे
ऊँ आँखि मैसे मै दगड़ी कूच बोलि छे
जबेर छोड़ी ग्युं ऊँ अंखियों थे
इनि अंखियों नि ऊँ आँखि थे देखि छे

कया बोलि विंकि छुईं बिंग नि पाई मी
वो भेद ऊ अंखियों कि भेद नि पाई मी
जबेर छोड़ी ग्युं ऊँ अंखियों थे
इनि अंखियों नि ऊँ आँखि थे देखि छे

दिके ऊ अपरु सि लगे ऊ मेरु जिकुड़ी सी
आँखियों,जिकुड़ी समतोल बिठै नि पाई जी
जबेर छोड़ी ग्युं ऊँ अंखियों थे
इनि अंखियों नि ऊँ आँखि थे देखि छे

रैगे बिचार मा विंकी अंखियों का खैल मा
घेर-भैर ईं आँखि अंखियों रिंग दि राई जी
जबेर छोड़ी ग्युं ऊँ अंखियों थे
इनि अंखियों नि ऊँ आँखि थे देखि छे

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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