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गिची चुप


गिची चुप

क्वी नि बोळळु ……२
सबु कि गिची चुप

आंखी मेरी यकुलि मा रुणि……२
सबु कि आंखी चुप

विपदा मेरी,मेरी खैरी……२
निरजक वहैकि सैजा तेरी निंदी चुप

पाड़ मेरु वैकि पीड़ा मेरी …..२
दोई हाथ दोई खुटा तेरु चुप

समासुम समासुम पाड़ा मा पसरयुं…..२
भैर मन कु तेरु धिंगतालो चुप

खुदेणु रैंदु खुद मा तेरु…..२
बडुली कि तेरु तांसू चुप

दाणा नाना बेटी-ब्वारी मेरु …२
ज्वाणुओ कि ज्वणी चुप

जियु मेरु लेखन मेरु यकलू हिट
नि आण कैल सबु कि चुप

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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