इनी भलि लगे
देकी तेर मुखडी इनी भलि लगे मिथे
ना भलि लगे मिथे अब अब कै कि मुखडी
देकी तेर मुखडी हो हो अ
बिसरि गयूं मि मैसे कै गौं बाटू जाणु
हर्ची गयूं मि मैसे क्ख्क मेरु ठीकाणु
देकी तेर मुखडी हो हो अ
ह्यूंद पडि इनी पैलि बारि त्यु डांडीयूँ माथा
ऊ बि लगणु आयू छुईं तेर ग्लुड़ी दगड आजा
देकी तेर मुखडी हो हो अ
बिगरेली मुखड़ी मा सजे वा कनुडी कि झूमकि
हाथा मा फूल ले बैठी वा हँसेली दंतु कि पंक्ति
देकी तेर मुखडी हो हो अ
चूड़ी का गोल गोल नि सब करयुं च घोल
ब्याल आज भोल मा मेर ब्योली बल तेंन ही हुँण
देकी तेर मुखडी हो हो अ
देकी तेर मुखडी इनी भलि लगे मिथे
ना भलि लगे मिथे अब अब कै कि मुखडी
देकी तेर मुखडी हो हो अ
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ