जौ ले
देख ले, जौ ले
ये मेरु खंड ये उत्तराखंड
ये पहाड़ों कु गढ़
हरु भैरू गैरु बैरु
नीलू सरग सफेद धाग रैसु
रुयां रुँया कपासू का केसु
देख ले देख मेरु लाटू
अपरु ये जियू भोरी कि
गौली कि लारू तौली कि
देख ना मोड़ मोड़ी कि
ऐजा ऊँ ऊंदरु थे छोड़ि कि
ऐजा मेर माया बॉडी कि
कब तक तू वख खुदेलु
अपरा मा कबै तक रूयेलु
मेरु लाटू कबि त परति कि आलू
देख ले, जौ ले
ये मेरु खंड ये उत्तराखंड
ये पहाड़ों कु गढ़
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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