घुगति चैता कि
घुगति चैता कि
बस्गे डाला मा घूर घूर
वा मेरा मैता कि
रचगे इन बचगे इन
दाणी काफल दाल गैता कि
हो घुगति चैता कि
लंयां पंयाँ सैर भैर
कौद कि क्यारी कि
मुला कु , प्याज कु
सुगडू रचे इन सुर सुर सुरा
दाणी काफल दाल गैता कि
हो घुगति चैता कि
मयालदी आँखि वा
झुरी छै ऊ गलुडी कि
चम चमकी नका कि नथुली
माथा छलकी बिंदी भागा कि
दाणी काफल दाल गैता कि
हो घुगति चैता कि
फुल्याँ केस सफेद
काफला का ऊ भेंट
हिंसोला का ऊ हिसरा
म्यारा पाहड़ा मा पसरयां
दाणी काफल दाल गैता कि
हो घुगति चैता कि..........३
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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